Chupke Chupke Raat-Din Gazal Lyrics. Gulam Ali Gazal Chupke Chupke Raat-Din.Gaana Lyrics


 1-चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है।

   हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है।

   चुपके चुपके रात....

2-तुझ से मिलते ही वो कुछ बेबाक़ हो जाना मेरा,

   और तेरा दाँतों में वो उँगली दबाना याद है।

   चुपके चुपके रात....

3-खींच लेना वो मेरा पर्दे का कोना दफ़अतन,

   और दुपट्टे से तेरा वो मुँह छुपाना याद है।

   चुपके चुपके रात....

4-चोरी-चोरी हम से तुम आकर मिले थे जिस जगह,

   मुद्दतें गुज़रीं मगर वो आशियाना याद है।

   चुपके चुपके रात...

5-दो-पहर की धूप में मेरे बुलाने के लिए,

   वो तेरा कोठे पे नंगे पाँव आना याद है।

   चुपके चुपके रात....

6-आज तक न रखा तकिये पे सर 'अख़्तर' ने तेरे बग़ैर,

   हाँ, मगर तेरा वो सर मेरा दबाना याद है।

   चुपके चुपके रात...



                      Transliteration 

1.Chupke chupke raat din aansoo bahaana yaad hai

Humko ab tak aashiqi ka woh zamaana yaad hai

Chupke chupke raat...

2.Tujh se milte hi woh kuchh bebaak ho jaana mera

Aur tera daanton mein woh ungli dabana yaad hai

Chupke chupke raat...

3.Kheench lena woh mera parde ka kona daf’atan

Aur dupatte se tera woh muh chhupaana yaad hai

Chupke chupke raat...

4.Chori-chori hum se tum aa kar mile the jis jagah

Muddatein guzri magar woh aashiyana yaad hai

Chupke chupke raat...

5.Do-pehar ki dhoop mein mere bulaane ke liye

Woh tera kothe pe nange paaon aana yaad hai

Chupke chupke raat...

6.Aaj tak na rakha takiye pe sar ‘Akhtar’ ne tere baghair

Haan, magar tera woh sar mera dabana yaad hai

Chupke chupke raat...

                         अर्थ

ग़ज़ल बीते हुए प्रेम-सम्बन्धों की मीठी यादों और गहरे स्नेह को याद करते हुए कही गई है। इसमें आशिक़ अपने पुराने प्रेम के हसीन लम्हों को याद करके भावुक हो रहा है।

1. वह समय आज भी याद है जब हम चुपचाप रातों को बैठकर आँसू बहाते थे – इश्क़ का वह दौर अब भी दिल में ताज़ा है।

2. तुमसे मिलते ही मेरा बेझिझक हो जाना और तुम्हारा शर्माते हुए दाँतों में उँगली दबाना – ये आदतें आज भी याद हैं।

3. अचानक पर्दे का कोना खींच लेना और झेंपकर दुपट्टे से मुँह छिपा लेना – ये प्यारे अंदाज़ आज भी याद हैं।

4. जहाँ तुम चोरी-छिपे हमसे मिलने आया करती थीं, वो ठिकाना आज भी याद है और भले ही समय बीत गया हो पर उन जगहों की यादें नहीं गईं।

5. दोपहर की तेज़ धूप में भी जब तुम मेरी पुकार पर बिना कुछ सोचे नंगे पाँव छत पर चली आया करती थीं – वह समर्पण मुझे आज भी याद है।

6. आज तक मैंने तकिये पर सिर नहीं रखा तुम्हारे बिना, लेकिन तुम्हारा वह प्यार से मेरा सिर दबाना आज भी दिल में बसा हुआ है।                     

यह ग़ज़ल पुराने प्यार की उन मासूम, छुपी हुई और भावनात्मक यादों को बयान करती है जिन्हें भुलाना मुश्किल है। हर शेर में प्रेमी अपनी महबूबा की छोटी-छोटी बातों और मुलाक़ातों को याद करते हुए उन लम्हों को फिर से जी रहा है – “चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है…”


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ