1-तुम्हीं मेरे मंदिर, तुम्हीं मेरी पूजा
तुम्हीं देवता हो, तुम्हीं देवता हो
कोई मेरी आँखों से देखे तो समझे
के तुम मेरे क्या हो, के तुम मेरे क्या हो
तुम्हीं मेरे मंदिर.....
2-जिधर देखती हूँ, उधर तुम ही तुम हो
न जाने मगर किन खयालों में गुम हो
मुझे देखकर तुम ज़रा मुस्कुरा दो
नहीं तो मैं समझूँगी, मुझसे खफा हो
तुम्हीं मेरे मंदिर....
3-तुम्हीं मेरे माथे की बिंदिया की झिलमिल
तुम्हीं मेरे हाथों के गजरों की मंज़िल
मैं हूँ एक छोटी-सी माटी की गुड़िया
तुम्हीं प्राण मेरे, तुम्हीं आत्मा हो
तुम्हीं मेरे मंदिर....
4-बहुत रात बीती, चलो मैं सुला दूँ
पवन छेड़े सरगम, मैं लोरी सुना दूँ
तुम्हें देखकर ये खयाल आ रहा है
के जैसे फरिश्ता कोई सो रहा है
तुम्हीं मेरे मंदिर....
Translitration
1-Tumhi mere mandir, tumhi meri pooja
Tumhi devta ho, tumhi devta ho
Koi meri aankhon se dekhe to samjhe
Ke tum mere kya ho, ke tum mere kya ho
Tumhi mere mandir, tumhi meri pooja
Tumhi devta ho, tumhi devta ho
2-Jidhar dekhti hoon, udhar tum hi tum ho
Na jaane magar kin khayalon mein gum ho
Mujhe dekhkar tum zara muskura do
Nahi to main samjhoongi, mujhse khafa ho
Tumhi mere mandir, tumhi meri pooja
Tumhi devta ho, tumhi devta ho
3-Tumhi mere maathe ki bindiya ki jhilmil
Tumhi mere haathon ke gajron ki manzil
Main hoon ek chhoti-si maati ki gudiya
Tumhi praan mere, tumhi aatma ho
Tumhi mere mandir, tumhi meri pooja
Tumhi devta ho, tumhi devta ho
4-Bahut raat beeti, chalo main sula doon
Pawan chhede sargam, main lori suna doon
Tumhe dekhkar ye khayal aa raha hai
Ke jaise farishta koi so raha hai
Tumhi mere mandir, tumhi meri pooja
Tumhi devta ho, tumhi devta ho
Meaning
1-गीत की शुरुआत में प्रिय को मंदिर, पूजा और देवता बताया गया है। प्रेमी/प्रेमिका कहती है कि तुम ही मेरे जीवन का केंद्र हो, मेरी आस्था और आराधना का आधार। अगर कोई मेरी आँखों में झाँके, तो उसे समझ आ जाएगा कि तुम मेरे लिए कितने महत्वपूर्ण हो। यह प्रेम की गहराई और पवित्रता को दर्शाता है।
2-प्रेमिका कहती है कि वह जहाँ भी देखती है, उसे सिर्फ़ प्रिय ही नज़र आता है। वह सोचती है कि प्रिय किन खयालों में खोया है। वह प्रिय से मुस्कुराने की गुज़ारिश करती है, वरना उसे लगेगा कि वह उससे नाराज़ है। यहाँ प्रेम में छोटी-छोटी भावनाओं और संवेदनशीलता का चित्रण है।
3-प्रिय को प्रेमिका अपने माथे की बिंदिया की चमक और हाथों के गजरे की सुंदरता से जोड़ती है। वह ख़ुद को एक मिट्टी की गुड़िया मानती है, जिसमें प्रिय ही प्राण और आत्मा हैं। यह छंद प्रेम के बिना जीवन को अधूरा और प्रिय को जीवन का आधार बताता है।
4-रात होने पर प्रेमिका प्रिय को सुलाने की बात करती है। वह हवा की सरगम के साथ लोरी सुनाने की इच्छा जताती है। प्रिय को देखकर उसे लगता है जैसे कोई फरिश्ता सो रहा हो। यहाँ प्रेम में देखभाल, स्नेह और प्रिय की मासूमियत का सुंदर चित्रण है।
कुल मिलाकर:
यह गीत प्रेम को भक्ति की ऊँचाई तक ले जाता है, जहाँ प्रियजन को ईश्वर तुल्य माना जाता है। इसमें प्रेम का समर्पण, स्नेह, और पवित्रता झलकती है। यह एक ऐसी भावना है जो प्रेमी को अपने प्रिय में ही सारी दुनिया और जीवन का अर्थ देखने के लिए प्रेरित करती है।
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