गायक- गुलाम अली
गीतकार- मजरुह सुल्तानपुरी
1- हम को किस के ग़म ने मारा ये कहानी फिर सही
किस ने तोड़ा दिल हमारा ये कहानी फिर सही
हमको किसके ग़म.....
2- दिल के लुटने का सबब पूछो न सब के सामने
नाम आएगा तुम्हारा ये कहानी फिर सही
हमको किसके ग़म......
3- नफ़रतों के तीर खा कर दोस्तों के शहर में
हम ने किस किस को पुकारा ये कहानी फिर सही
हमको किसके ग़म....
4- क्या बताएँ प्यार की बाज़ी वफ़ा की राह में
कौन जीता कौन हारा ये कहानी फिर सही
हमको किसके ग़म....
Transliteration
1- Hum ko kis ke gham ne maara, yeh kahaani phir sahi
Kis ne tohda dil hamaara, yeh kahaani phir sahi. Hum ko kiske gum....
2- Dil ke lutne ka sabab poocho na sab ke saamne
Naam aayega tumhaara, yeh kahaani phir sahi. Hum ko kiske gum....
3- Nafraton ke teer kha kar doston ke shehr mein
Hum ne kis kis ko pukaara, yeh kahaani phir sahi. Hum ko kiske gum....
4- Kya bataayein pyar ki baazi wafa ki raah mein
Kaun jeeta kaun haara, yeh kahaani phir sahi. Hum ko kiske gum...
अर्थ ( Meaning)
1- इस शेयर में कवि कहता है कि मुझे किसके ग़म ने तबाह किया, यह बात अभी छोड़ दो, यह कहानी बाद में सुनाएंगे। यहाँ "ग़म" प्रेम में मिली पीड़ा या दिल टूटने का प्रतीक है।
2- कवि कहता है कि मेरे दिल के टूटने की वजह को सबके सामने मत पूछो, क्योंकि अगर मैंने सच बताया तो तुम्हारा नाम सामने आएगा। यहाँ कवि अपने प्रिय को कह रहा है, जिसके कारण उसका दिल टूटा है। वह नहीं चाहता कि उसका दुख और उसकी वजह सामने आए।
3- इस शेयर में कवि कहता है कि दोस्तों के शहर में, जहाँ उसे प्यार और अपनापन मिलना चाहिए था, उसे नफरत और विश्वासघात के तीरों का सामना करना पड़ा। उसने बहुत से लोगों को मदद के लिए पुकारा, लेकिन कोई नहीं आया। इस दुख और अकेलेपन की कहानी को वह अभी नहीं बताना चाहता।
4- कवि कहता है कि प्रेम और वफादारी की राह में जो खेल खेला गया, उसमें क्या हुआ, यह बताना मुश्किल है। यह साफ नहीं है कि इस प्रेम की बाजी में कौन जीता और कौन हारा। इसकी पूरी कहानी को वह बाद में बताएगा।
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