एक राधा एक मीरा,राम तेरी गंगा मैली। Ek Radha Ek Meera, Hindi Movie Raam Teri Ganga Maili. Gaana Lyrics

1- एक राधा एक मीरा

    दोनों ने श्याम को चाहा,

    अंतर क्या दोनों की चाह में बोलो,

    इक प्रेम दीवानी, इक दरस दीवानी।एक राधा, एक मीरा,

2- राधा ने मधुबन में ढूंढा,  

    मीरा ने मन में पाया,

    राधा जिसे खो बैठी वो गोविन्द,

    मीरा हाथ बिक आया।

    एक मुरली, एक पायल,

    एक पगली, एक घायल,

    अंतर क्या दोनों की प्रीत में बोलो,

    एक सूरत लुभानी, एक मूरत लुभानी।एक राधा, एक मीरा,

3- मीरा के प्रभु गिरिधर नागर,राधा के मनमोहन,

    राधा नित श्रृंगार करे,

    और मीरा बन गयी जोगन।

    एक रानी, एक दासी,

    दोनों हरि प्रेम की प्यासी,

    अंतर क्या दोनों की तृप्ति में बोलो,

    एक जीत न मानी, एक हार न मानी।एक राधा, एक मीरा



                       Transliteration 

1- Ek Radha, ek Meera,

    Dono ne Shyam ko chaha,

    Antar kya dono ki chah mein bolo,

    Ek prem deewani, ek daras deewani.

    Ek Radha, ek Meera.

2- Radha ne Madhuban mein dhoondha,

    Meera ne man mein paya,

    Radha jise kho baithi woh Govind,

    Meera haath bik aaya.

    Ek murali, ek payal,

    Ek pagli, ek ghayal,

    Antar kya dono ki preet mein bolo,

    Ek soorat lubhani, ek moorat lubhani.

    Ek Radha, ek Meera.

3- Meera ke Prabhu Giridhar Nagar,

    Radha ke Manmohan,

    Radha nit shringar kare,

    Aur Meera ban gayi jogan.

    Ek rani, ek daasi,

    Dono Hari prem ki pyasi,

    Antar kya dono ki tripti mein bolo,

    Ek jeet na maani, ek haar na maani.

    Ek Radha, ek Meera.


गीत- एक राधा एक मीरा

गीतकार-  रविंद्र जैन 

गायक- लता मंगेशकर 

संगीतकार- रविंद्र जैन

फिल्म- राम तेरी गंगा मैली

रिलीज की तारीख- 16 अगस्त 1985

म्यूजिक लेबल- सारेगामा

अभिनेता - मंदाकिनी, राजीव कपूर, रजा मुराद, सईद जाफरी, कुलभूषण खरबंदा

                            अर्थ ( Meaning)

1- राधा और मीरा दोनों ने भगवान कृष्ण से गहरा प्रेम किया। दोनों का प्रेम अटूट और अनन्य था, लेकिन उनकी चाह में अंतर था। राधा का प्रेम भावनात्मक और आत्मीय था। उनका प्रेम कृष्ण के साथ संपूर्ण एकता, प्रेम और रोमांटिक लगाव से भरा था। राधा का प्रेम सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों स्तरों पर था, जिसमें कृष्ण के साथ हर पल जीने की चाह थी, लेकिन दूसरी तरफ मीरा का प्रेम आध्यात्मिक और भक्ति से भरा था। वह कृष्ण के दर्शन (उनके स्वरूप को देखने) और उनकी भक्ति में डूबी थीं। उनका प्रेम पूरी तरह आत्मा का समर्पण था, जिसमें सांसारिक इच्छाओं का कोई स्थान नहीं था।अंतर: राधा का प्रेम प्रेम और मिलन की चाह से भरा था, जबकि मीरा का प्रेम कृष्ण के प्रति पूर्ण समर्पण और उनके दर्शन की लालसा से प्रेरित था।

2- राधा ने कृष्ण को वृंदावन के जंगलों में ढूंढा। उनका प्रेम कृष्ण के भौतिक रूप, उनके साथ बिताए पलों और उनकी उपस्थिति से जुड़ा था। राधा का प्रेम कृष्ण के साथ साकार (प्रत्यक्ष) मिलन पर आधारित था लेकिन मीरा ने कृष्ण को अपने मन में, अपनी आत्मा में पाया। उनकी भक्ति आंतरिक थी, जिसमें बाहरी दुनिया की कोई जरूरत नहीं थी। मीरा ने कृष्ण को अपनी भक्ति और ध्यान के माध्यम से अनुभव किया। राधा ने कृष्ण को खो दिया, क्योंकि कृष्ण वृंदावन छोड़कर मथुरा और फिर द्वारका चले गए। राधा का प्रेम उनके शारीरिक अलगाव से दुखी था।मीरा ने खुद को पूरी तरह कृष्ण को समर्पित कर दिया। वह उनके प्रेम में बिक"गईं, यानी उन्होंने अपनी सारी सांसारिक इच्छाएँ और पहचान त्याग दी। मुरली (कृष्ण की बांसुरी) राधा के प्रेम का प्रतीक है, जो कृष्ण की मधुरता और उनके साथ बिताए पलों से जुड़ा है। पायल मीरा के प्रेम का प्रतीक है, जो उनकी भक्ति की लय और समर्पण को दर्शाता है। राधा को पगली कहा गया, क्योंकि वह कृष्ण के प्रेम में दीवानी थीं और उनके बिना अधूरी थीं।

3- मीरा अपने प्रभु को गिरिधर नागर (गोवर्धन पर्वत उठाने वाले और आकर्षक कृष्ण) कहती थीं, जो उनके लिए आध्यात्मिक और भक्ति का प्रतीक थे। राधा अपने प्रभु को मनमोहन (मन को मोहने वाले) कहती थीं, जो उनके लिए प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक थे। राधा अपने प्रेम को व्यक्त करने के लिए सजती-संवरती थीं। उनका श्रृंगार (सजना-संवरना) कृष्ण को आकर्षित करने और उनके साथ प्रेम के रस में डूबने का प्रतीक था। राधा का प्रेम सौंदर्य और प्रेम की अभिव्यक्ति से भरा था लेकिन मीरा ने सांसारिक जीवन त्यागकर जोगन  बनना चुना। उन्होंने राजसी वैभव छोड़ दिया और साधारण वस्त्र पहनकर कृष्ण की भक्ति में लीन हो गईं। उनकी भक्ति में बाहरी सौंदर्य का कोई स्थान नहीं था।राधा को रानी कहा गया, क्योंकि वह कृष्ण की प्रिय थीं और उनके प्रेम में एक रानी की तरह सजी-संवरी थीं। मीरा को दासी कहा गया, क्योंकि उन्होंने खुद को कृष्ण की सेवा में पूर्ण रूप से समर्पित कर दिया था, जैसे एक दासी अपने स्वामी की सेवा करती है। दोनों ही कृष्ण के प्रेम की प्यासी थीं। राधा का प्रेम कृष्ण के साथ मिलन की प्यास थी, जबकि मीरा की प्यास कृष्ण की भक्ति और उनके दर्शन की थी। राधा ने अपने प्रेम में कभी जीत नहीं मानी, यानी वह कृष्ण के बिना भी अपने प्रेम को जीवित रखकर तड़पती रहीं। मीरा ने कभी हार नहीं मानी, यानी उन्होंने सांसारिक कठिनाइयों और समाज के विरोध के बावजूद अपनी भक्ति को कभी नहीं छोड़ा।अंतर: राधा का प्रेम सांसारिक और भावनात्मक था, जो श्रृंगार और मिलन की चाह से भरा था। मीरा का प्रेम आध्यात्मिक था, जो समर्पण और त्याग से भरा था। दोनों की तृप्ति अलग थी—राधा को प्रेम में तड़पकर तृप्ति मिली, जबकि मीरा को भक्ति में डूबकर तृप्ति मिली।

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